Tuesday, June 23

Art Vibration - 389



VANDAN
( RESPECT )


Someone are make to his self a  king in our society and someone are born as a king in our society . we know in history the great King was gave respect to Artist very first , the king was followed to guide line of a artist , in past artist was living like a son of god because by creativity or art activity  a artist developed to social system . Artist creativity was giving support to king or his kingdom ship . its example is City Rome , Greece , Italy ,Paris ,London and some more great historical cities . that cities are creation of artist . 

We know that artist was deserved that great respect and regard from the King for his hard creative job. In history I were read this kind of art story with lots of artist name or their life stories. Artist was teacher of society in past or today too . 

I know  you are thinking why I am recalling about history or historical art of our world . actually after study of art history in  my real life I were faced and met to a great artist .his nature was like a king he was thinking very much or great for society . he was wanted  to design a fresh culture and better life way for society from his art vision . I noticed in him a god father of a true artist or creative person . he was always promoted to youth artist of any art field . because he was master in all kind of art .that was music, writing, painting, acting, directing , composing , performing and much more art forms he was knew very well . so he was master of our Society of our world . 

Today he is not with me or with our world family , so in respect today our city people was organized a event in respect for him. Yes I am telling about a senior great art master  Sir Suraj Singh Panwar . he is not with us but I am feeling his soul is connect to me and our soul is meet time to time by way of art activity . today I were presented in a event that was in respect of Art Master Suraj Singh Panwar , I saw there the former chief Minister of Rajasthan was launched a booklet on Suraj Singh Panwar by luck in that book late  my short Article in Rajasthani language was published , I were wrote that on nature of Great Art master Sir Suraj Singh panwar . he was promoted to  me many time , he was gifted me some art price  and today after that event I were got  hard copy of  That book late  in  my hand from son of Sir Surj Singh Panwar that was also a gift for me or a historical record of  my art writing ,

Here in studio I were wrote a one more note in Hindi , that is on relation of our Souls . or about that live event of Art Respect  by a  king . ( former Chief minister ) .

Here that’s copy for  your reading .. I sure  you will translate it by good online translator .

I wrote it ..



मित्रों कहते है रूहानी रिश्ते कभी नहीं मरते वो रिश्ते जिस्मानी नहीं होते , इस लिए रूहानी रिश्ते नहीं मरते ! रूह रूह को पहचानती है जानती है और मिल भी लेती है जब रूह को रूह से मिलना होता है ! प्रत्यक्ष को प्रमाण ही क्या सन २००३ में मैंने बीकानेर की रामपुरिया हवेली वाली गल्ली में वहाँ की सुन्दर इमारतों के रेखाचित्र बना कर वही प्रदर्शित किये ! उस प्रदर्शनी को एक लम्बे चौड़े कद के रोबीले व्यक्तित्व देखने आये और मुस्कुराते हुए मुझे और मेरे चित्रों को देख कर कहा मुझे ये पसंद आया तुम्हारा ये सार्वजानिक रूप से कला कर्म और प्रदर्शन ! ये लो इनाम के ५०० रूपए आज जेब में इतने ही पैसे है तुम प्रदर्शनी के बाद घर आना तुम्हे और इनाम देना है ! उस दिन मुझे मेरे शहर में पहला कला पोषक नजर आया जो कला और कलाकार के मर्म को जनता और समझता था ! मैंने उनकी इनाम राशि ली और अपने कला स्वाभिमान को संघरक्षित करते हुए उन्हें मेरा एक चित्र भेंट किया ये बात उन्हें और ज्यादा पसंद आई और उन्होंने मेरी कलाकार की रूह से अपने कलाकार की रूह की दोस्ती बनाई ! हम कम ही मिले पर जब भी मिले मानो ऐसा प्रतीत होता जैसे की हम कभी अलग थे ही नहीं साथ ही रहे हमेशा कलाकर्म करते हुए !
कई बरसो बाद सन २०१२ में मुझे उनकी साहित्य गतिविधि में जाने का अवसर मिला पुस्तक लोकार्पण के बहाने उन्होंने बीकानेर के करीब १५ रंगकर्मियों को सम्मान दिया वो भी कलात्मक अंदाज में जिसे देख मैं अभीभूत हुआ था और उस समय की मेरी पहली टेक्स्ट फोटोग्राफी फेसबुक ऑनलाइन राजस्थनी बुक लेखन की कड़ी में मैंने एक टेक्स्ट फोटो उस समारोह पर लिखा स्वर्गीय श्री सूरज सिंह पंवार जी के लिए और उनके विराट व्यक्तित्व के लिए जिसे आप मेरी टेक्स्ट फोटोग्राफी ऑनलाइन इ बुक फेसबुक पर पढ़ सकते है दिनाक २५-२ - २०१२ ! जिसे सूरज सिंह जी ने अपनी स्मारिका के लिए चयनित किया क्यों की उन्होंने बताया था की उनका समाज के प्रतिष्ठित लोग और संस्थान अभिनन्दन करना चाहते है सो वे मेरी टेक्स्ट फोटो इमेज राजस्थानी को स्मारिका में मेरे फोटो के साथ प्रकाशित करेंगे ! मतलब वे मुझे भूले नहीं और उनकी रूह ने उन्हें मुझे भूलने नहीं दिया ! मैं उनके घर जाकर अपने फोट की कॉपी भी देकर आया वे स्वस्थ और अपने खुश मिजाज में मुझसे मिले और चित्र कारी की ही बात की !
मैं बात रूहों के रिश्ते की कर रहा था जी आज सुबह अख़बार पढ़ा खबर थी की अभिनन्दन और स्मारिका का लोकार्पण आज स्वर्गीय सूरज सिंह जी पंवार का स्मृति शेष के रूप में ! पर कार्यक्रम का समय नहीं दे रखा था और स्थान माली समाज भवन गोपेसर बस्ती जो मैं ठीक से नहीं जानता था ! सो मेरी रूह परेशान मैं परेशान इस बीच एक कड़ी बनी रूहानी रिश्तों के जुड़ने की फेसबुक पर साहित्यकार श्री मालचंद तिवारी जी ने एक पोस्ट अपडेट की ! विनम्र आग्रह के साथ अक्सर वे ऐसा करते नहीं है ! उनकी पोस्ट के साथ फोटो था स्वर्गीय सूरज सिंह जी पंवार का और साथ में स्थान और समय ठीक ठीक प्रकाशित किया था, सो मैंने उन्हें आश्वासन दिया की मैं पूरी कोशिश करूँगा ( इन शब्दों के साथ ) ! मन के भीतर जानता था की कोशिश क्या जाना ही पड़ेगा बात रूह के रिश्ते की है मैं होता कौन हूँ अपने आप को रोकने वाला !
ठीक ३:५१ पर मैं माली समाज भवन के आगे था और मेरे आगे आगे ही वहाँ पहुंचे थे श्री गोपाल गहलोत ( फेसबुक फ्रेंड और अतीत में परिवार के पडोसी ) उनसे आगे मुझे पहले पहल मिले पृथ्वी सिंह जी पुत्र सूरज सिंह जी पंवार और फिर श्री मालचंद तिवारी जी , वे भी विश्वास के भाव से मुझसे मिले , वहाँ भवन का मंच देख कर ही आभास हुआ की वास्तव में कला के राजा का ही अभिनंदन होने जा रहा है दुःख की बात ये थी की वे नहीं थे होते तो ना जाने वापस सब को कितना और क्या क्या दे ते , देने वाला लेते ही ज्यादा देने की सोचता है ये कला की प्रकृति होती है और कलाकार की भी बशर्ते वो सच्चा कलाकार हो सूरज सिंह पंवार जी जैसा ! भवन का विराट प्रांगण और भव्य व्यवस्था और उस से भी भव्य मंच और उस मंच पर बिराजने वाले अतिथि और गणमान्य व्यक्तित्व !
वैसे आधा मंच मेरा ऑनलाइन मित्र गणो से भरा था नाम गिनाऊँ तो श्री भवानी शंकर शर्मा जी ( पूर्व महापौर बीकानेर ) , श्री रामेस्वर डूडी जी ( प्रतिपक्ष नेता राजस्थान ) श्री अशोक गहलोत साहब ( पूर्व मुख्य मंत्री राजस्थान ) साहित्यकार श्री मालचंद तिवारी जी , श्री यसपाल गहलोत ,श्री गोपाल गहलोत और बाकी मंच उन्ही लोगो से सु साजित था जिनका जिक्र मैंने टेक्स्ट फोटोग्राफी इमेज में किया था ! क्यों की वही लोग पुनः मंचासीन थे कारण वे स्वर्गीय सूरज सिंह पंवार जी के बहुत निकटम व्यक्तित्व रहे थे ! जिनमे संत सोमगिरी जी महाराज, श्री जनार्दन जी कल्ला, साहित्यकार श्री भवानी शंकर व्यास जी , श्री बुलाकी दास कल्ला जी !
अभिनन्दन समारोह जितना विशाल था उतनाही विशाल श्रोता गण का हुजूम था ! होना ही था कला के राजा की स्मृति में जो समारोह था ! समारोह में सभी ने मंच से अपनी बात कही अपने अपने अंदाज और अनुभव के आधार पर या यूँ कहूँ रूहानी रिश्ते के आधार पर उसके प्रभाव के आधार पर ! मंच से स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ जिसका जिक्र सूरज सिंह जी ने मुझसे किया था ! बात के धनि होना भी इसे कह सकते है वादा निभाना कोई सूरज सिंह जी से सीखे मरणो प्रान्त भी मुझसे किया वादा पूरा किया वो भी पुरे कला और राज सम्मान के साथ !
संयोग से एक स्मारिका दर्शक के हाथ से मुझे देखने को मिली औरमैं भाव विभोर हुआ मेरी आँखे नम हुई जब मैंने देखा की सूरज सिंह जी ने अपनी बात पूरी की स्मारिका में मेरे टेक्स्ट फोटोग्राफी इमेज को प्रकाशित करके( जिसकी एक प्रति मुझे भी मिली उनके पुत्र श्री पृथ्वी सिंह जी के हाथ से ) ! मित्रों वे आज मेरी रूह को फिर से एहसास करा गये की हुकुम किसी का रखते नहीं और रखते है तो सूत समेत लौटते है ! सो उनके ऋण को मैं इस पोस्ट के जरिये उन्हें लौटा रहा हूँ फिर से ( हमारा रूहानी रिस्ता है और ये लेन देन चलती रही है हमारे कलात्मक रिश्ते में क्यों की कला बुद्धि का व्यापार है ) ,उनकी स्मृति शेष अभिनन्दन समारोह और स्मारिका के लोकार्पण में मेरी उपस्थिति को इस पोस्ट के जरिये दर्ज कराकर !
हुकुम श्री सूरज सिंह जी पंवार के सृजनात्मक आयाम की सदा .... जय हो …



Published article of myself in Book late , it was text photography image in Rajasthani language on Sir Suraj Singh Panwar

This note is VANDAN ( Respect )  for him from  my heart . I am very regarded for art energy of Sir Suraj Singh Panwar . I know I will not meet again to him or no one can like him in future  ..

 So here I said For him VANDAN ( Respect ) 

Yogendra  kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA

Friday, June 19

Art Vibration - 388



Today I am looking Critical condition of  Mumbai Rain  in Film of Charlie Chaplin
* Sleeping at war *




Friends some art work is vibrating to our vision many time in our  one life . so it is natural, that art work creator image is coming  in our vision  very first when his art work vibrate to our vision . 

In  my childhood age  I were watching to Durdarshan channel on TV . that time only DD INDIA was one and only TV channel for our TV  in  my city . by luck in  my childhood age I were watched some good art works of great art master by Durdarshan TV Channel . in that great ART MASTER work  I were  watched the films of Charlie Chaplin . Charlie Chaplin had  key for  puzzled minds in his vision and his art films are  hard copy of  that key  for  that puzzled mind’s . he was always making a critical smile on my face without any words , his visuals and critical views were  creating a very strong thinking track for viewers ( for  me )  or that movement was making mind of  viewers . by visual dialogue . 

I can say Great Art master Sir Charlie Chaplin was teaching to his world without any words . he was working in very limited format but in limited format he was gave unlimited creative or progressive vision  to our world for better future or life. 

Today I am remembering to sir Charlie Chaplin or his very critical view .here  in India the rain time is on or in first rain our metro city Mumbai was got fail condition in water system . After rain  Mumbai  life is stop to last two days . On TV - many media channels are reporting And showing videos of critical condition of Mumbai city. our City Mumbai is connected to sea , there three side sea water + rain water was came from Sky and stopped to Mumbai life . 

When I am watching to news about  Mumbai Rain on TV  , the news visuals are recalling to me the film sleeping at war  . sir Charlie Chaplin was created that on world war but one part of that film is very critical or sir Charlie Chaplin was shoot that in water . he was showed the critical condition of army camp when rain water come in their taint and how to they are manage to his self in that critical  condition ..sorry I am laughing now in writing motion it is true because that art work is very strong and  you can’t stop to your laugh when  you imagine  his direction and acting motion too..  ha ha ..

Here I am sharing his critical art work link for your visit , I sure after visit to this art work of Sir Charlie Chaplin you can observe to  my vision condition or   you can  know how to I infected to Mambai rain ?  and how to Sleeping at war film was came in  my view ?  

  





About Mumbai rain condition here I want to share a link for  your visit  , I sure  you will compare to both visual video and then  you will know  how to today I am looking critical condition of Mumbai rain in film of Charlie Chaplin * Sleeping at war * ( this both Video i am share from youtube.com , so thanks to youtube.com ) 







 So here I said it  today I am looking critical condition of Mumbai rain in film of Charlie Chaplin * Sleeping at war * 

Yogendra  kumar purohit
Master of Fine Art
Bikaner, INDIA